मानसिक तनाव से कैसे बचे ?

261 261 admin

तनाव क्या है और कब होता है?

जब परिस्थिति और मनःस्थिति में तालमेल नही होता तब तनाव होता है। परिस्थितियाँ कुछ हो और मनःस्थिति कुछ हो, मतलब हम चाहते कुछ हैं और होता कुछ और है उस घड़ी में तालमेल के अभाव में हमारे मन में तनाव उभरने लगता है।

तनाव से कैसे बचें?

जब तक आप तनाव में उलझते जाओगे, ये तब तक आपका पीछा करेगा। जब हमारे मन में किसी बात को लेकर तनाव उत्पन्न हो रहा है, जीवन में असहजता कि अनुभूति हो रही हो तब उस घडी में हम ऐसा करें – परिस्थिति मेरे हाथ में नहीं है, परिस्थिति नहीं बदल पायेगी, मनःस्थिति मेरी है, मेरे हाथ में है, मनःस्थिति को बदल दें। आपकी परिस्थिति वही रहेगी, मनःस्थिति बदल जायेगी, आपका तनाव दूर होगा।

मनःस्थिति को कैसे बदलें?

१. सकारात्मक सोचें – प्रतिकूल की अनुकूल व्याख्या करें, आपका मन शांत होगा, जो कठिन लग रहा है, आसान लगेगा। बुराई में अच्छाई देखने की कोशिश करें, मन का तनाव दूर होगा।
२. वक्त दें, समय दें – कितनी भी विषम परिस्थिति हो, ये समझें कि ये थोड़े देर की बात है, ज्यादा देर टिकने वाला नही है, फिर सब बदल जायेगा और आपका तनाव थोडा हल्का होगा।
३. आशावादी सोच रखें – जैसे कि आज नही, कल ठीक हो जायेगा।
४. यथार्थ पर भरोसा करें – जैसे कि जीवन में जो भी कोई संयोग है मेरे हाथ में नही है, शुभाशुभ, हानि-लाभ, सुख-दुःख, संयोग-वियोग, जीवन-मरण सब कुछ कर्म के हाथ में है तो इसके पीछे रोना क्यों?

ये चारों बातें आपको निश्चित रूप से तनाव से निजात पाने में सहायक बनेंगी।

व्यावहारिक बात- जब भी आपका मन तनाव से उलझने लगे तो मन को बदलें, अच्छा पढें, अच्छी संगति करना यह आपकी सोच को बदलने में बड़ा निमित्त बनेगा। हम खाना बनाने के लिये सीटी वाले कुकर का प्रयोग करते हैं। ये सीटी तभी बजती है जब कुकर में प्रेशर होता है। अगर कुकर में सीटी ना हो तो कुकर फट जायेगा, तो कुकर ना फटे इसलिए उसमें सीटी बजकर प्रेशर हलका हो जाता है। ठीक वैसे ही जब दिमाग में तनाव का प्रेशर बढ़े और दिमाग फटने लगे तो प्रसन्नता की सीटी बजा दें आपका मन ठीक हो जायेगा और तनाव से बचने का रास्ता प्रशस्त हो जायेगा।

Share

Leave a Reply