जीवन में विचारों का महत्व
हमारा जीवन हमारे विचारों से प्रभावित होता है। चारों तरफ के वातावरण से प्रभावित होकर हम अच्छा या बुरा जैसा सोचते हैं, जीवन भी वैसा ही बन जाता है। सदा प्रसन्नचित्त और आशावादी दृष्टिकोण कैसी भी परिस्थितियाँ आने पर उसे रचनात्मक सोच से देखने की दिशा देता है, आत्मविश्वास को मजबूत बनाता है। किसी भी चीज को पाने के लिए दृढ़ता से खड़े तो होना ही पड़ेगा, नहीं तो गिर जाएंगे। मनोबल और सोच अच्छी होगी तो हम स्वयं अपने जीवन को बहुत आगे बढ़ा सकते हैं।
विचारों से व्यक्तित्व
हमारे विचार हमारे व्यक्तित्व के निर्धारक होते हैं। जीवन में घटित किसी भी घटना से असंतुष्ट रहना या हर समय अपनी कमियों को खोजना, ऐसी नकारात्मक सोच हमें आगे बढ़ने से रोकती है। कद या पद से मनुष्य छोटा और बड़ा नहीं होता अपितु सोच से मनुष्य छोटा और बड़ा होता है। जिस मनुष्य की सोच ऊँची और बड़ी होती है उसका कद भी ऊँचा और बड़ा होता है। किसी भी आलोचना या घटना से अप्रभावित होना ही जीवन जीने की कला है। सही सोच से आलोचना को भी अपने जीवन के निखार का आधार बनाया जा सकता है और गलत सोच से अपनी प्रशंसा को भी परेशानी का कारण बनाया जा सकता है।
सकारात्मक दृष्टिकोण
सकारात्मक दृष्टिकोण जीवन को सुखी बनाए रखने का बहुत महत्वपूर्ण मंत्र है। अपने विचार और सोच को सदैव सकारात्मक बना कर चलने से किसी प्रकार की उलझन या समस्याएँ नहीं होती। सारी समस्याओं का निवारण अपनी सकारात्मकता के बल से किया जा सकता है। वस्तुतः सकारात्मकता स्वयं एक समाधान है और नकारात्मकता स्वयं एक समस्या है। हमें अपनी सोच को व्यापक बनाना चाहिए जिससे हर परिस्थिति में संतुलन बना रहे। हर दिन के बाद अँधेरी रात होती है और रात्रि का गहन अंधकार भी थोड़े समय बाद प्रभात के उजाले में परिवर्तित हो जाता है, और यही प्रकृति का नियम है। आशावादी व्यक्ति को जीवन के हर प्रसंग में एक नया अवसर दिखता है, वह हर घटना में खुश रहता है। हमें ऐसा दृष्टिकोण या जीवन का सूत्र अपनाना चाहिए जिससे कि कोई हमारा अनुगामी बने या ना बने, हम किसी सकारात्मक व्यक्तित्व के अनुगामी बन जाएं, जो की हमारी सोच और सकारात्मक ऊर्जा की तरंगो का प्रवाहक हो। जब हम अपनी सही सोच को व्यवहार में उतारेंगे, तभी ही जीवन को खुशहाल बना पाएंगे।
पूज्य मुनिश्री प्रमाण सागर जैन समुदाय के सकारात्मक वैज्ञानिक सोच के आध्यात्मिक संत है। युग बदलने की सक्षमता उनकी तार्किक वाणी में सदैव प्रवाहित होकर नीरवता के साथ बहती नदी जल जैसी है जो जिज्ञासु की प्यास बुझाने अमृता है। जो पुरुष पुण्यात्मा है उनके लिए सौभाग्य है कि वर्तमान समय में युग परिवर्तन के करूणानिधि इस युग में हमेशा जागृत कर स्व पर कल्याण की भावना से ओतप्रोत है ।पूज्य श्री को नमोस्तु पाद प्रचालन
चरण सेवक -अरविंद जैन रवि एडवोकेट