परिक्षाओं का दौर शुरू होने वाला हैं। यह समय माता पिता व बच्चों दोनो के लिए बेहद महत्वपूर्ण व जटिल होता हैं।
परिक्षाओं के समय माता-पिता का कर्तव्य?
माँ-बाप बच्चों पर प्रेशर न डालें। आज कल अच्छे अंक और अच्छे रेंक लाने का ट्रेंड हो गया है, जिसके कारण माँ – बाप बच्चों पर अत्याधिक प्रेशर डालते हैं।उनके ऊपर अतिरिक्त दबाव आता हैं और इसके परिणाम स्वरूप उन्हें जो आता हैं वह भी वे भूल जाते हैं। हमारा उद्देश्य ज्ञान की वृद्धि का होना चाहिए, अंक लाने का नहीं।अक्सर यह देखा जाता हैं जो बहुत अच्छे रेंक होल्डर्स रहते हैं वे आगे चलकर फिसड्डी हो जाते हैं और जो एवरेज होते हैं वह ऊंचाइयों का शिखर छू जाते हैं।आप यदि परिक्षा की ज़िन्दगी में फेल भी हो जाए ,कोई चिंता नहीं। जिन्दगी की परिक्षा में कभी फेल नहीं होना। जो लोग परिक्षा की जिंदगी में पास हो जाते हैं, इस तरह का दबाव आने पर, वे ज़िंदगी की परिक्षा में फेल हो जाते हैं। हमें वहाँ सावधान होना चाहिए।
बच्चे क्या करें
बच्चों को चाहिए, मन में दृढ़विश्वास रखें कि हमने अपने ज्ञानवृद्धि का लक्ष्य रखकर पढ़ाई की, हमसे जो बनेगा हम वह लिखेंगे।मन में किसी भी प्रकार का दबाव नहीं रखेंगे तो आपको लिखते समय किसी भी प्रकार का डर नहीं होगा।
मन की घबराहट कैसे कम करें
अपने मन की घबराहट को कम करने के लिए, अपने अंदर सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाए- जब पेपर लिखना शुरू करें तो भगवान का नौ बार नाम लें।श्वास गहरी लें और अपनी लेखनी चलाए, पहला शब्द जो आप लिख रहे हैं उस समय आपकी साँस भीतर होनी चाहिए। पूरक स्वर में आप यदि अपना लेखन कार्य प्रारंभ करते हैं तो आपकी परिक्षा अच्छी जाएगी। आपका confidence build होगा।
संस्कार और पढ़ाई – क्या हैं विशेष
केवल पढ़ाई का नाम ही career नहीं हैं। केवल पढ़ाई करने से career बनता तो आज के पढ़े लिखे व्यक्तियों का सबका career अच्छा होता।
जिनका उच्च शिक्षा से संबंध हैं हम देखते कि वे बड़े- बड़े आतंकवादी बने हुए हैं वो career हैं कि कितना बड़ा टेरर हैं, यह सब जानते हैं।यह सब चीज़े ठीक नहीं हैं।
पढ़ाई के साथ संस्कार भी ज़रूरी
पढ़ाई की हमारे जीवन में बहुत महत्ता हैं लेकिन पढ़ाई को ही जीवन में सर्वस्व नहीं मानना चाहिए और अपने career को बढ़ाने के साथ- साथ अपने जीवन को सब जगह से मजबूत बनानें का प्रयास करें। जब तक हम अपने जीवन का सर्वांगिन विकास नहीं करते हम अपने जीवन के क्षेत्र में आगे नहीं बढ़ सकते।
वे माँ बाप अपने बच्चो के शत्रु हैं जो उनकी पढ़ाई पर तो ज़ोर देते हैं, लेकिन संस्कार को भूल जाते हैं।
बच्चों को कैसी सीख दें
हमें बच्चो को अच्छी सीख देनी चाहिए और अच्छे संस्कार देने चाहिए अन्यथा उनका जीवन बरबाद हो जाएगा।जो माँ-बाप अपने बच्चो को और चीज़ देते हैं पर संस्कार नहीं देते कालांतर में वह संतान अपने माँ-बाप के प्रति वफादार नहीं होती ।हमें इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए संस्कार हमारे जीवन की पूंजी हैं और उसमें किसी भी प्रकार की कमी नहीं होनी चाहिए।
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