क्षमा:
किसी ने आपके प्रति कोई दुर्व्यवहार किया, दुर्वचन कहा और कोई गलत कार्य किया। सामर्थ्य होने पर भी उसके अपकार को समता भाव से सह लेना, प्रतिकार नहीं करना ये क्षमा है।
चार बातों से हमेशा दूर रहना चाहिए:
क्रोध – आकुलता
कलह – अनायास लड़ाई-झगड़ा
क्रूरता – हिंसक प्रतिशोध और प्रतिरोध की भावना
कटुता- बैर की गांठ बांधना
जीवन में उत्तम क्षमा का भाव:
किसी से लड़ाई-झगड़ा(कलह) नहीं करना, और यदि किसी के प्रति कोई कलहपूर्ण व्यवहार हुआ है तो उसे समझौते में परिवर्तित करना, क्षमा मांगना। किसी के प्रति कटुता का भाव नहीं रखना, कटुता यानी बैर की गाँठ अपने अंदर नहीं बांधना और यदि कदाचित कोई बैर है भी तो उसे सीमित करने की कोशिश करना, शान्त रहना लेकिन क्रूर नहीं बनना।
Leave a Reply