उत्तम तप क्या है?
*आसक्ति से विरक्ति, अशांति से शांति की ओर प्रस्थान का नाम ही उत्तम तप है।
*तपस्या उसे कहते हैं जिससे कर्म की निर्जरा हो। इसलिए तपस्या को कर्म की निर्जरा का साधन कहा गया है।
उत्तम तप के प्रकार-
1. शारीरिक तप: व्रत करना, त्याग करना, उपवास करना तपस्या करना आदि ये सब शारीरिक तप है।
2. वाचिक तप: वाचिक तप मतलब वाक-संयम, अर्थात कोई अपशब्द बोले तो उस समय मौन रख लें।
3. मानसिक तप: मन में समता, प्रतिकूल प्रसंगो को समता से सहना।
उत्तम तप को कैसे अपनाएं?
अपने मन को प्रसन्न रखें, सौम्य भाव रखें, पवित्रता को अपने हृदय में विकसित करें, इन्द्रियों का निग्रह करें, अपनी विषयों की आसक्ति को नियंत्रित करें, इच्छाओं का शमन करें; ये सब तपस्या है। अगर ऐसी तपस्या हम सबके जीवन में प्रकट हो जाए तो फिर कोई समस्या शेष नहीं रहेगी और निश्चित हमारे जीवन का उद्धार होगा।
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