क्षमावाणी पर्व क्या है?
* यह दिन अपने मन में बंधी क्रोध, अहंकार, राग व द्वेष की गाठों को खोलकर जीवन को उत्साह से सुख पूर्वक जीने का एक महान दिन है।
* हम गुस्सा हो जाते हैं, बुरा महसूस करते हैं जब कोई हमारी बात नहीं मानता, हमारे अनुसार काम नहीं करता, झूठ बोलता है या कोई धोखा देता है। क्षमावाणी इस अच्छे और बुरे की भूमि से उठकर, सबको क्षमा करके, आत्मिक सुख में जीने की नई दिशा दिखाती है।
खम्मामि सव्व जीवेषु सव्वे जीवा खमन्तु में,
मित्ति में सव्व भूएसू वैरम् मज्झणम् केणवि
सब जीवों को मैं क्षमा करता हूँ,
सब जीव मुझे क्षमा करें,
सब जीवों से मेरा मैत्री भाव रहे,
किसी से वैर-भाव नहीं रहे।
क्षमावाणी पर क्या करें?
* क्षमावाणी को क्षमा दिवस या क्षमापना दिवस से भी जाना जाता है, जिसमें जैन अनुयायी सब ही को ‘मिच्छामि दुक्कङम’ कहते हैं। मिच्छामी दुक्कड़म का शाब्दिक अर्थ है, “ जो भी बुरा किया गया है वो फल रहित हो ”
* दशलक्षण पर्व की समाप्ति पर, वर्तमान की आंख से अपने अतीत का आत्मविश्लेषण करके सब ही आपस में मिलते हैं तथा क्षमा मांगते व क्षमा करते हैं।
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