क्या है जैन धर्म ?
जैन धर्म कठिनता और कठोरता से परे एक वैज्ञानिक धर्म है जो हमें संतुलित जीवन जीने की शैली बताता है। जैन धर्म ऐसा धर्म है जो हमें स्वार्थी और आक्रामक होने से बचाता है और शांत, संयत तथा संतुलित जीवन जीने की प्रेरणा देता है। जैन धर्म हिंसा, झूठ, चोरी, कुशील और परिग्रह को पाप मानते हुए अहिंसा, सत्य, अचौर्य, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह का पालन करते हुए जीवन जीने की प्रेरणा देता है। जैन धर्म अहिंसा परमो धर्म के सिद्धांत से प्राणी मात्र को जियो और जीने दो की सीख देता है।
कौन हैं दिगम्बर जैन साधु ?
दिगम्बर का संधि-विच्छेद है: दिक् (दिशाएं) + अम्बर (वस्त्र)
अर्थात जिनकी दिशाएं ही वस्त्र हैं वो दिगम्बर हैं। दिगम्बर जैन साधु धर्म स्वभाव व धर्माचरण के प्रतिपालक हैं। साधारण व्यक्ति धागे से बने वस्त्र पहनते हैं, परंतु दिगम्बर साधु दिशाओं और आकाश को अपना वस्त्र मानते हैं। इसलिए जैन साधु दिगम्बर हैं, नग्न नहीं। नग्न तो भोगी- विलासी भी होता है, परन्तु दिगम्बर साधु साधना करने के लिए वस्त्रों का त्याग करते हैं।
क्या है जैन दिगम्बर साधु की चर्या ?
जैन दिगम्बर साधु त्याग और साधना की परम मूर्ति हैं। चौबीसघंटे में एक बार भोजन-पानी लेना, हमेशा पैदल विहार करना, किसी जूते चप्पल का उपयोग नहीं करना, सर्दी गर्मी बरसात ऋतुओं में निरावरण रहना, आधुनिक सुख-सुविधाओं से दूर रहना, अपने हाथों से खुद का केशलोंच करना, कभी किसी को श्राप नहीं देना, कभी किसी से प्रसन्न होकर वरदान नहीं देना, निंदा करने वाले या प्रशंसा करने वाले सब पर समदृष्टि रखना इत्यादि। जैन साधुओं की यही विशेषताएं हैं जो उन्हें धरती पर भगवान का रुप बनाती है।
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