रात्रि में परिक्रमा क्यों नहीं लगाते?
परिक्रमा नहीं लगाने के पीछे कोई खास कारण है। पुराने समय में हमारे यहाँ जो मन्दिर होता था, उसके परिक्रमा के पथ में काफी dark (अन्धकार) रहता था, दिन में तो उजाला रहता है, किन्तु रात में उजाला नहीं रहता है। तो उस अंधेरे में जीव-जंतु और एक दूसरे के टकराने की सम्भावना होती है, शायद इसलिए रात्रि में परिक्रमा का निषेध कर दिया गया हो, और यह हमारे यहाँ की परम्परा है, दिन में ही परिक्रमा लगाते हैं रात में परिक्रमा नहीं लगाते।
कुछ स्थान ऐसे हैं जहाँ रात्रि में परिक्रमा लगाने की परम्परा है, जैसे मुझे मालूम पड़ा, महावीर जी, क्योंकि वहाँ दिन में सुविधाएँ नहीं हैं, तो जहाँ सुविधा है, वहाँ ऐसा करो। लेकिन जहाँ परम्परा नहीं है, वहाँ ऐसा करना उचित नहीं है और इसका कोई शास्त्रीय आधार मुझे देखने को नहीं मिला कि रात्रि में परिक्रमा क्यों नहीं लगाते।
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