संकल्प की ताकत
(मुनि श्री प्रमाणसागर जी के प्रवचनांश)
गुरु के साथ उनके कुछ शिष्य चले जा रहे थे। रास्ते में एक बड़ी चट्टान दिखी। एक शिष्य ने गुरु से पूछा – गुरुदेव! यह चट्टान बड़ी कठोर है, क्या चट्टान से भी कठोर कोई चीज है? गुरु कुछ बोलें इससे पहले ही दूसरा शिष्य बोला – चट्टान से भी कठोर है लोहा, जो इस चट्टान को भी तोड़ डालने का सामर्थ्य रखता है। तो दूसरे शिष्य ने पूछा कि – गुरुदेव, क्या लोहे से भी ज्यादा कठोर कोई चीज है? तीसरे शिष्य ने तुरन्त जबाव दिया – लोहे से भी ज्यादा प्रभावशाली है अग्नि, जो लोहे को भी पिघला देने की सामर्थ्य रखती है। तभी चौथे शिष्य ने कहा कि – गुरुदेव, अग्नि से भी ज्यादा प्रभावशाली है पानी, जो अग्नि को भी बुझा देने का सामर्थ्य रखता है। तभी अगले शिष्य ने कहा – मुझे तो पानी से भी ज्यादा प्रभावशाली दिखाई पड़ती है – हवा, जो पानी को भी उड़ा ले जाती है।
अगला शिष्य कुछ बोलने ही वाला था कि गुरु बोले – सुनो! सबसे ज्यादा प्रभावशाली यदि कुछ है तो वह है मनुष्य के मन का संकल्प। मनुष्य अपने संकल्प के बल पर पाषाण को तोड़ सकता है, लोहे को गला सकता है, आग को बुझा सकता है, पानी को उड़ा सकता है। सब कुछ मनुष्य के संकल्प पर निर्भर है। मनुष्य का संकल्प यदि दृढ़ है तो बुरे-से-बुरे संस्कारों को भी जीत सकता है।
Edited by: Pramanik Samooh
Namostu Munivar..
Munishri ki sari khaniyan adbhud hain..
Kya inki koi pustak mil skti hai jisme kisse-khaniya ho.
kripya btane ka prytn kren.