दसलक्षण पर्व के दौरान माँस की बिक्री पर ४ दिन के प्रतिबन्ध के सरकार के आदेश पर सोशल मीडिया पर बहुत कुछ बातें चल रही हैं। कुछ लोग इसका विरोध कर रहे हैं तो जैन समाज के लोग उनको उत्तर दे रहे हैं। क्या इनकी राजनीति के बीच में हम लोगों को पड़ना चाहिए?
सर्वथा अनुचित है, इन सब मुद्दों को बहस का विषय नहीं बनाना चाहिए। सरकार का आदेश है, सरकार का काम है कि उस पर अमल कराए, हम लोग इसमेंं क्यों बोलें? हिंसा से बचने की भावना सबको रखनी चाहिए।
“अहिंसा परमो धर्मः” हमारी संस्कृति का मूल नारा है और अहिंसा का संबन्ध किसी समाज, किसी समुदाय, किसी धर्म या किसी जाति विशेष तक नहीं है, यह प्राणी मात्र का है। इसीलिए यदि लोग इसे स्वीकार करें तो बहुत अच्छा हैं और जिनको तकलीफ़ है वह उसका विरोध करें, हम न इसका समर्थन करें न विरोध करें, यह तठस्थता ही हमारे लिए सर्वोपयोगी है।
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