क्या विधवा महिला का घट यात्रा में सम्मिलित होना उचित है?

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शंका

महाराज जी, हमारे मांगलिक कार्यों में घट यात्रा जब होती है तब ज्यादा करके के महिलाएं घर से घट लेकर निकलती हैं, तो उस समय क्या हमारी विधवा औरत घट यात्रा में शामिल नहीं हो सकती है क्या?

समाधान

क्यों नहीं हो सकती है? एक लोक रूढ़ि बना दी और लोक में विधवाओं को अमंगल की दृष्टि से देखा जाता हैं। मैं तो कहता हूँ कोई स्त्री यदि विधवा हो जाए और उसके बाद वह ब्रह्मचर्य व्रत को अंगीकार कर लें तो उसे एक ब्रह्मचारिणी की तरह सम्मान देना चाहिए। यह रूढ़िवादिता से मुक्त होना चाहिए। यह गलत दृष्टिकोण है। उसने त्याग और संयम के मार्ग को अपनाया है। यह समाज में कैसा विरोधाभास है कि एक स्त्री विधवा होने के उपरांत किसी दूसरे पुरुष के साथ शादी कर ले तो उसे तो सम्मान दें और दूसरे शील, संयम, सदाचार का पालन करें तो उसे अमंगल कहें। यह एकदम कुत्सित परंपरा है! इस कुपरंपरा से बचना चाहिए और धर्म-शास्त्र इसका कहीं निषेध नहीं करते हैं कि किसी स्त्री का पति नहीं है तो कहीं से अमंगल हो गई? नहीं! जो व्रति है वह सदैव मांगलिक होता है, अव्रति से अमंगल हो सकता है।

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