हमारी धर्म में एक चर्चा आती है- व्यंतरजाति के देव! हम लोग बच्चों को कहते हैं कि “बेटा! भूत वूत कुछ नहीं होता” तो इस भूत में और व्यंतरजाति के देव में डिफरेंस (DIFFERENCE) क्या है? ये होते हैं इस बात का क्या प्रमाण है?
देखो! शास्त्रों में इनका उल्लेख है; हो सकता है आपको मेरी बात से विरोधाभास लगे परंतु मैं दृढ़ता से कहता हूँ कि सबसे बड़ा भूत मन का भूत है। व्यंतरजाति के देव होते हैं, भूत भी होते हैं, लेकिन वे उन्हीं को परेशान करते हैं जिन का मनोबल कमजोर होता है। हमें तो आज तक किसी भी व्यंतरजाति के देव ने परेशान नहीं किया। इनके अस्तित्व को नकारना भी गलत है और इन से घबराना भी गलत है। छोटी-छोटी बातों पर ऊपरी का चक्कर मान लेना या ऊपरी हवा की बातें कर लेना हवा है।
मैं आपको एक घटना सुनाता हूं, मैं भोपाल में था। एक युवक मुझसे जुड़ा हुआ था। उसने आ करके कहा “महाराज जी! घर में छोटे भाई की पत्नी को कुछ दिनों से ऊपरी चक्कर है, ऊल जलूल बोलती है। गर्मी का मौसम था, अपने भाई की शादी में अपने मायके गई थी जब से लौट कर आई है सबसे बड़ी अब नॉर्मल है। हमने कई जगह दिखा लिया, यहाँ के जितने भी ओझा गुनिया थे, उनको दिखाया, लाभ नहीं मिल रहा है। कुछ समझ में नहीं आ रहा है महाराज! रात भर सो नहीं पाते, इतना चिल्लाती है।” मैंने उसे समझाया ” देख! कोई साइकाइट्रिक प्रॉब्लम(PSYCHIATRIC PROBLEM) भी हो सकती है, तू उसको लेकर आ।” लड़का जुड़ा था, परिवार के साथ लेकर आया। उसे लेकर आया, मैंने जब इस तरह की एडवाइज(ADVISE) की तो किसी को संतोष नहीं हुआ उन्होंने सोचा कि ‘महाराज झाड़-फूंक में विश्वास नहीं करते, पर हकीक़त तो यही है कि इसको कोई ऊपरी बाधा है और यहाँ महाराज के पास कुछ होने जाने वाला नहीं है।” मैं उस युवक से कहा कि “तू एक नाटक कर” और उसे मैंने कुछ बात बताई। वह घर गया और रात के ठीक १२:०० बजे वह भी वैसी हरकतें करने लगा जैसी वह बहू करती थी। घरभर के लोगों ने सोचा कि इसको भी भूत लग गया। अगले दिन सवेरे दोनों को उसी गुनिया के पास ले जाया गया जो उनका ट्रीटमेंट कर रहा था। और जैसे उस गुनिया ने उसका ट्रीटमेंट करने के लिए अपना चिमटा उठाया, वह युवक हट्टा-कट्टा था, उसने उसका चिमटा छीन के उसी को दे मारा। बोला “हमको कोई भूत-वूत नहीं, हम तो तुम्हारा भूत उतारने के लिए आए हैं। हम तो नाटक कर रहे थे।” तब घर के लोगों की आँखें खुली और उस महिला को वहाँ के एक साइकियाट्रिक (PSYCHIATRIC) को दिखाया गया, उसका ट्रीटमेंट (TREATMENT) लिया गया, वह महिला ठीक हो गई।
ऐसे कई घटनाएँ हैं, यह सच्चाई है छोटी-छोटी बातों को ऊपरी बाधा से नहीं जोड़ लेना चाहिए। यह नहीं होते ऐसी बात नहीं है, लेकिन आज उनको इतनी फ़ुरसत नहीं कि आपके लिए हर कदम कदम पर नज़र रखें। इसलिए परेशान मत होइए, भगवान का नाम लीजिए; अगर कहीं होंगे भी तो सब साइड दे देंगे, साइड हो जाएँगे कोई सोचने की जरूरत नहीं है। मन का भूत सबसे बड़ा भूत होता है इसे कभी ना भूलना।
Leave a Reply