महाराज श्री! कहा जाता है कि यदि कहीं कोई कार्य शुरू कर रहे हैं और कोई छींक दे या टोक दे तो रुक जाना चाहिए। तो क्या ऐसे शकुन-अपशकुन मानना चाहिए? जैसे ट्रैन का टाइम हो रहा है और कोई छींक दे, और हमारे पास रुकने का समय न हो तो?
शकुन अपशकुन की बात है; यह है क्या? यह एक निमित्त शास्त्र है। उसने छींका इसलिए तुम्हारा अनिष्ट हुआ, ऐसा नहीं! छींका है यानि यह एक INDICATION (संकेत) है कि आगे कुछ गलत हो सकता है। तो शकुन को यदि हम शकुन शास्त्र के हिसाब से पढ़ते हैं, तो उसमें लिखा कि ‘यदि आपको पहली बार अपशकुन हो रहा है, तो आप ८ उछ्श्वास तक रुक जाओ। दूसरी बार हो तो १६ और तीसरी बार हो तो २४ और लगातार अगर और हो जाए तो अपना कार्यक्रम स्थगित कर लो। मुख्य रूप से यह सारे शकुन-अपशकुन यात्रा के समय होते है। आप कोई भी अच्छे कार्य के लिए निकल रहे हैं और उस समय इस तरह की कोई बात हुई, तो आप अपनी यात्रा पर पुनर्विचार कर लें। यह एक पूर्व संकेत है। यानि उसे समझ ले कि वो इस बात का संयोग बना है कि अभी आपके निकलते समय सामने वाले की सम्मुख छींक आयी है, तो आपका समय चक्र ठीक नहीं है।’ ८ उछ्श्वास में कितना होता है, १० सेकंड नहीं होगा, उतना टाइम टाल दीजिए। आपका वह कर्म वही निकल जाएगा। तो यह चीजें शकुन शास्त्र में है।
जब मैंने शकुन विज्ञान को पढ़ा, तब पढ़ने के बाद मुझे लगा कि मैं इसे नहीं पढ़ता तो ज्यादा अच्छा था। क्योंकि उससे पहले तो हमें शकुन-अपशकुन की बहुत थोड़ी बातें याद थीं । आज लोक में सबसे ज्यादा बिल्ली के रास्ता काटने की बात की जाती है, लेकिन शकुन शास्त्र में बिल्ली से ज्यादा कुत्ते का लिखा है। एक दो अच्छी बातें बता देता हूँ, बुरा नहीं बताऊँगा नहीं तो दिमाग में कीड़ा काटेगा। आप कहीं जा रहे हो और सामने से कुत्ता मुँह में रोटी लेकर आता दिखे, तो समझ लेना तुम्हारा काम १०० % SUCCESS (सफल) है। पढ़ने के बाद मैंने अनुभव भी किया। कुत्ता अगर अपने दाहिने पैर से दाहिना कान खुजा रहा है, समझ लेना तुम्हारा काम १०० % SUCCESS (सफल) है; और बहुत सारी चीजें है, कुत्ता मैंथुन कर रहा है, तो क्या है; बदन धुन रहा है, तो क्या है, एक दूसरे के ऊपर उर्ध्व मुँह करके भोंक रहा है, तो क्या है, पीछे मुँह करके भोंक रहा है, तो क्या है; इतने हैं कि दिमाग खराब हो जाए।
जब मैंने पूरा पढ़ा, चूँकि मेरी रूचि रही, १९८४ से १९९४ तक मेरे डेस्क पर जो भी पुस्तक आई, मैंने उसका जिस्ट(सार) निकाल करके ही छोड़ा; मुझे जो मिला सब पढ़ा, शकुन विज्ञान भी पढ़ा। पढ़ने के बाद अपने अंदर एँट्री उतनी ही की,जितनी जरूरत थी, यह गुरु की कृपा रही, नहीं तो आज पागल हो गया होता। तो पढ़ने के बाद मुझे लगा कि नहीं पढ़ता तो ज्यादा अच्छा था। कुछ चीजें हैं जिन पर ध्यान रखना चाहिए।शकुन अपशकुन में मन में अगर विकल्प आ गया, तो ९ बार भगवान का नाम लो, णमोकार मंत्र जपो, आगे बढ़ जाओ, सब काम ठीक हो जाएगा। ज्यादा इसमें उलझने की जरूरत नहीं है। भगवान का नाम लेकर के काम करना चाहिए।
एक बार एक सज्जन ने मुझसे कहा “महाराज, आज सुबह-सुबह मैंने गधे को देख लिया। मेरा क्या होगा? अच्छा होगा कि बुरा?” हमने कहा “तेरा तू जान, पर गधे के लिए तो बुरा होगा। उसने तुम्हारा मुँह देखा, दिन भर बेचारा खटेगा।”
इन अपशकुनों में मत पड़ो।
घर से निकलते ही भगवान का नाम लो, आगे बढ़ो उसमें ज्यादा लकीर के फकीर मत बनो। एक बात कहूँगा जो अनुभव की है। कभी आप बाहर निकल रहें हो, अनायास काँच फूटे, आप अपनी यात्रा को तत्काल स्थगित कर दें। ऐसे पचासों प्रकरण मेरे पास आए हैं जिनके निकलते समय काँच फूटा, इग्नोर किया, एक्सीडेंट हुआ। सड़क चलते समय यदि रास्ता साँप काटे और काला साँप हो आप अपनी यात्रा को कुछ पल के लिए रोक दीजिए। यह काल का सूचक माना जाता है, मृत्यु का योग है। और ऐसे कई घटनाएँ घट चुकी है। यह सब चीजें हैं, बहुत सारी चीजें हैं, शुभ भी है या अशुभ भी है। कम जानो तो अच्छा है लेकिन यह एक दो चीजें, चूँकि मैंने देखा है कि इनके कारण बड़ी दुर्घटनाएँ घटी है इसलिए आप सबको सावधान करने के लिए बता रहा हूँ। पर इसका यह मत समझना कि साँप ने घटना करा दी; वह एक संकेत है, यह शकुन शास्त्र है, ज्योतिष में शकुन को एक निमित्त बताया है। उसको उस तरीके से देखना चाहिए।
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