मुझे माता पिता की सेवा करने का सौभाग्य नहीं मिला, यह मेरे कौन से कर्मों का बन्ध है ? यदि कोई सन्तान माता-पिता की सेवा नहीं करती है, तो वह क्या कर्मों का बन्ध कर रही है या माता-पिता का पुण्य क्षीण हो गया है?
आप ने सबसे पहली बात पूछी कि “मुझे अपने माँ बाप की सेवा करने का सौभाग्य नहीं मिला, मेरे किस कर्म के उदय से हुआ या मेरे किसी कर्म के बन्ध का कारण तो नहीं है?” देखिये माँ-बाप की सेवा करने का सौभाग्य न मिलना और माता पिता की सेवा न करना, दोनों ही चीजें अलग है।
माँ-बाप की सेवा कई तरीके से होती है। आप चाहो तो अपने माँ-बाप से दूर रह करके भी सेवा कर सकते हो, हमेशा अपने माँ-बाप से संपर्क करके, संवाद कायम करके। जीवन में कोई अच्छी उपलब्धि पाएं, तो उसका श्रेय माँ-बाप को देकर, अपने आचार विचार और व्यवहार से माँ-बाप के नाम को रोशन कर के आप उनकी बहुत बड़ी सेवा कर सकते हो। जिस सन्तान के निमित्त से माँ-बाप का नाम ऊँचा होता है, माँ-बाप उस सन्तान से बहुत खुश रहते हैं। उन्हें खुशियाँ देना भी एक बहुत बड़ी सेवा है। ऐसा तो आप कर ही सकते हैं और जो निष्ठावान सन्तान होती है वह ऐसा जरूर करें।
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