अधिक जाप करने की होड़ नहीं, उमंग रखें!

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शंका

अधिक से अधिक जाप करने की होड़ में आकुलता से निराकुलता का मार्ग कैसे प्राप्त किया जा सकता है?

समाधान

अधिक से अधिक जाप करने की होड़ और उमंग, दोनों में अन्तर है। होड़ में आकुलता होती है और उमंग में उल्लास! होड़ तब होती है जब हम किसी से आगे निकलने का भाव रखते हैं, वह मैं कदाचित नकारात्मक मानता हूँ। लेकिन उमंग- उल्लास में जितना बन सके अधिक से अधिक जाप करो। यह सातिशय पुण्य के बन्ध का कारण है। जब कभी भी कोई अच्छा कार्य हो मन में यह भाव रखो- “मैं अपना सर्वोत्कृष्ट समर्पित करूँ, अधिक से अधिक योगदान दूँ”, यह होड़ नहीं उल्लास-उंमग है। होड़ तब होगी जब किसी को टारगेट बनाएँगे और अकबकाहट में आधा शुद्ध, आधा अशुद्ध करेंगे।

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