शंका
जैन कुल में पैदा होने के बाद मनुष्य जन्म की सार्थकता किस में है?
समाधान
देखो,
भवस्य सारम् किम्, किल व्रत धारणम् च।
इस मनुष्य जीवन का सार क्या है? व्रत अंगीकार करो, संयम अंगीकार करो। संयम के बिना मनुष्य जीवन की सार्थकता नहीं। तुमने अपने जीवन में चाहे जो और चाहे जितना पाया हो, लेकिन यदि व्रत संयम के क्षेत्र में आगे नही बढ़े, सम्यक दृष्टि होने के उपरान्त भी, तो तुम अपने जीवन का उद्धार नहीं कर सकते। इसलिए व्रत संयम के क्षेत्र में आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिए।
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