शंका
एक बार रामटेक में आचार्य श्री जी के आहार के दौरान किसी दीदी ने मुझे कषाय सल्लेखना लेने को कहा और मैंने ले भी ली। पर गृहस्थी में न चाहते हुए भी कषाय हो ही जाती है, तो क्या करें?
समाधान
कषाय सल्लेखना ऐसे ही नहीं ली जाती। संकल्प लेने मात्र से कषायों की सल्लेखना नहीं होती, बल्कि कषायों के प्रति सजग और सक्रिय होने से सल्लेखना होती है। तो कषायों के शमन का सतत् प्रयास करें। अगर आप कषायों के शमन का प्रयास करेंगे तो निश्चित आपको सफलता प्राप्त होगी। गृहस्थी में कषायों से पूर्ण रूप से मुक्ति नहीं होती, फिर भी आपकी कषाय उभर रही है, तो जब भी आपकी कषाय उभरे, नौ बार णमोकार मंत्र का जाप करें। अपने मन को धिक्कारें कि “मैं ट्रेक से उतर गयी। हे भगवान! ऐसी शक्ति दें ताकि इसकी पुनरावृत्ति न हो सके।”
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