शंका
स्व-प्रशंसा की भूख बढ़ने लगे तो क्या समझें?
समाधान
जिसको स्व प्रशंसा की भूख बढ़ गई तो समझ लेना उसका पतन शुरू हो गया। यह उथली मानसिकता की पहचान है। अपनी प्रशंसा की ज़्यादा चाह रखने वाले व्यक्ति का व्यक्तित्व बहुत उथला होता है और वहीं से उसका पतन शुरू हो जाता है। कहा जाता है कि ‘यदि मेरी कोई दूसरा प्रशंसा करे तो वो मेरा गुण है, उन्हीं गुणों का बखान मैं अपने मुँह से करूं तो मेरा दोष है।’
लोग प्रशंसा करें, पर प्रशंसा पाने की भूख मत रखो, बहुत हानिकारक है। ऐसी भूख से अपने आप को बचाना चाहिए। कैसे बचायें? २-४ आलोचकों को अपने पास रख लो, रास्ता ठीक हो जायेगा।
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