शंका
ग़लती होने पर भी हम क्षमा क्यों नहीं माँग पाते?
समाधान
मन का संकोच इसका मूल कारण है और मन के संकोच के पीछे कहीं न कहीं हमारे भीतर का मान छिपा होता है। ‘मैं जाऊँगा उसने अगर ठीक रिस्पांस नहीं दिया तो क्या होगा? मैं क्षमा मांगूगा उसने मेरा तिरस्कार कर दिया तो क्या होगा? ४ लोगों के सामने ऊल-जलूल शब्द कह दिए तो क्या होगा?’ यह जो चीज़ है-‘क्या होगा? क्या होगा? क्या होगा?’ यही रोकता है। अपना हृदय खोल करके जाओ कि ‘मुझे गांठ खोलनी है, जो होगा अच्छा होगा।’ सारा संकोच खत्म हो जाएगा।
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