क्या ईर्ष्या द्वेष रखने वाला धर्म का लाभ ले सकता है?

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शंका

क्या ईर्ष्या द्वेष रखने वाला धर्म का लाभ ले सकता है?

समाधान

कतई नही लगता। जिस पेड़ की जड़ में कीड़ा बैठा हो, उस पेड़ को कोई कितना भी खाद पानी दें, सिंचें, सवारें वह पेड़ फूल फल नहीं सकता। आपको पता है यह अनुभव की बात है। कितना भी सिंचा जायें, खाद, पानी दिया जाए लेकिन वह फूलेगा नहीं, फूलेगा नही। क्यों? क्योंकि कीड़ा है। इसी प्रकार किसी व्यक्ति के चित्त में विकारों का कीड़ा बैठा है वह कितना भी धर्म ध्यान क्यों न करें उसका जीवन कभी भी फूल फल नहीं सकता, यह व्यर्थ है। इसलिए पहली आवश्यकता है उस कीड़े को बाहर करने की। जो कीड़ा बाहर निकलेगा पेड़ अपने आप पनपेगा, हरा भरा होगा और सब को छाया देगा, फल देगा, फूल देगा।

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