शादियों में नशीले पदार्थों के सेवन पर कैसे रोक लगायें?
जैन धार्मिक संस्थानों में मद्यपान जैसी प्रवृति होना सम्पूर्ण जैन समाज के ऊपर कलंक है। यह कतई नही होना चाहिये, यह घोर निंदनीय कुकृत्य है और जैन धार्मिक स्थलों पर इस प्रकार की चीजों का सेवन करना महान पाप का कारण है। हमारे शास्त्रो में कहा गया है –
“अन्य क्षेत्रे कृतं पापं, धर्म क्षेत्रे विनश्यति,धर्म क्षेत्रे कृतं पापं,वज्र लेपो भविष्यति !”
दुनिया में किये गये पाप धर्म क्षेत्र में नष्ट होते है, जो व्यक्ति धर्म क्षैत्र मे आकर के पाप करता है उसके लिए वज्रलेप होता है। आजकल यह बातें दिनों दिन आ रही है, CULTURE बहुत बिगड़ता जा रहा है लोगों की सोच वैसी बनती और बदलती जा रही है। आधुनिक फैशन बन गया है मद्यपान! शादी विवाह में आजकल सब लोग मद्यपान करने में गर्व का अनुभव करते हैं, जो कि उचित नहीं है। हमें प्रारंभ से अपनी पीढ़ी को संभालना चाहिए, बच्चों को प्रारंभ से गुरुओं के संपर्क और संसर्ग में लाकर उन्हें इसकी प्रतिज्ञा दिलानी चाहिए और यह समझाना चाहिए कि अपने जीवन में इस प्रकार की वर्जेय वस्तुओं से कैसे बचें, तो वे आगे चलकर के भटकते नहीं हैं। प्रायः उच्च शिक्षा के नाम पर या अन्य निमित्तों से अपने बच्चों को लोग ज्यादा LIBERTY दे देते हैं, जब बच्चे LIBERTY पाकर इस प्रकार की प्रवृतियाँ करने लगते हैं तो मामला गड़बड़ हो जाता है।
आज की युवा पीढ़ी बहुत जबरदस्त भटकाव है। मेरे सम्पर्क मे ऐसे कई प्रकरण आये जिसमे युवको के साथ- साथ युवतिया भी मद्यपान करने मे प्रवत्त हो गयीं। मैं एक स्थान पर था, एक व्यक्ति अपनी बेटी को लेकर के आया; उसकी बेटी ST. XAVIERS COLLEGE में SECOND YEAR में अध्यनरत थी। उस व्यक्ति ने कहा महाराज इसकी शराब छुडाइये। मैं आश्चर्यचकित, SECOND YEAR की बालिका अपने पिता के साथ आयी है, पिता कह रहा है इसकी शराब छुडाइये! मैं बिल्कुल आश्चर्य में पड़ गया, यह जैन लड़की आखिर ऐसा कैसे और आप सुनकर आश्चर्य करोगे। पहले मैंने सोचा कि शायद यदा-कदा इसने लिया होगा, जब बात किया तो पता लगा वह लड़की पूरी ADDICT थी। वह महीने में दस-बारह बार शराब पी लेती थी और वह भी थोड़ी बहुत नहीं। उस लड़की को शराब छुड़वाने में मुझे पन्द्रह मिनट देने पड़े, समझाया, झकझोरा, तब जाकर उसने प्रतिज्ञा ली। खुशी की बात है, अभी कुछ दिन पहले ही वह परिवार मेरे पास आया और मैंने जब बच्ची से पूछा तो बोली-“महाराज जी! आप से नियम लेने के बाद मुझ में बहुत बड़ा परिवर्तन आ गया है, मेरा जीवन सुधर गया।” किन्तु जड़ में जाने के बाद जब मैंने उस बच्ची से पूछा तो उस बच्ची ने जवाब दिया-“महाराज जी मैं 10th क्लास में थी। मेरा एक फ्रेंड कोल्ड ड्रिंक में बियर मिलाकर के पिला दिया। मुझे मस्ती सी छाई। मेरे मन में उसके लिए एक इच्छा प्रकट हो गयी। मैंने बीयर से शुरुआत की, फिर शराब की आदी हो गयी । इन प्रवत्तियों पर अंकुश लगाना चाहिए।
मां बाप को चाहिए कि वह अपने बच्चे के प्रति जागरूक बने ताकि वह भटके ही नहीं। सामाजिक संस्थानों में इस तरह का कृत्य ना हो क्योंकि बच्चे ही ऐसा करते हैं ऐसी बात नहीं है, बड़े भी करते हैं। बल्कि जो बड़े आज कर रहे हैं बचपन से ही कर रहे हैं। इसलिए बच्चों पर अंकुश लगाएं ताकि आने वाली पीढ़ी ना बिगड़े और जो बड़े लोग, तथाकथित बड़े लोग, HIGH-PROFILE के नाम पर इस तरह का कृत्य करने लगे हैं, यह बहुत अच्छी बात नहीं है। इस पर अंकुश लगाने के लिए कुछ कार्य होना चाहिए।
आजकल ऐसे भी कुछ प्रकरण हुए हैं कि शादी विवाह में, जैनियों के शादी विवाह के समारोह में शराब की STALL लगायी गयी। मैं पूरी समाज से कहना चाहता हूं अगर किसी भी जैन व्यक्ति के समारोह के कार्यक्रम में इस तरह की चीज़ों का इंतेज़ाम हो और आपको सूचना मिले, वो कितना भी बड़ा आदमी क्यों ना हो उसके इस कार्यक्रम का बहिष्कार कर दो, असहयोग करना। लौट आओ और जाने के बाद मालूम पड़े तो कहो कि ‘मैं इस बात का अनुमोदन नहीं करूंगा।’ जिस विवाह समारोह में विनायक यंत्र की साक्षी में फेरे पढ़ने हैं, वहां शराब ? हम स्वीकार नहीं करेंगे! लौट के चले आओ और चार बातें सुना कर आओ कि तुम जैन नहीं, जैनियों के ऊपर कलंक हो। लोग खली लौट आये तो कभी किसी दूसरे के मन में साहस नहीं होगा। सामने वाले की थू-थू होनी चाहिए। कहां तो जैन शादी विवाह में जमीन कंद तक के परहेज की बात होती थी, और आज भी कुछ जगह होती है। लेकिन यह इस तरह की मद्यपान जैसी कुप्रवृत्तियां बहुत निंदनीय हैं । ऐसे लोगों की घोर भर्त्सना करनी चाहिए। ऐसे लोगों को समाज में कभी आगे नहीं आने देना चाहिए, क्योंकि हमारी सामाजिक परंपरा को तार-तार कर रहे हैं। उनके प्रति जागरूकता होनी चाहिए।
हर माध्यम से ऐसे व्यक्ति की ऐसी भर्त्सना करो कि वो आदमी खुद से शर्मिंदगी महसूस करें कि ‘समाज में रहकर मैं ऐसा नहीं कर सकता।’ इसी तरह अगर आप किसी को अपने धार्मिक संस्थान या प्रतिष्ठान विवाह इत्यादि क्रार्यक्रम के लिए देते हैं तो जिनको भी आप दें, पहले से लिखवा कर लेवें की व्रजित चीजें का उपयोग नहीं होगा और यदि होता है आपके विवाह समारोह में और आपके विदाई के बाद अगर एक भी बोतल या इस तरह की चीज मिल जाती है तो समाज उनके लिए दंडात्मक कार्रवाई करें। उन्हें इस चीज़ के लिए रिस्पांसिबल से बनाया जाए।तो इस तरह से इन चीज़ों पर कुछ अंकुश लगाया जा सकता है।
इससे बचने के लिए दिन में शादी विवाह का कार्यक्रम हो, रात में ना हो। रात में तो 3-डी चलते है। 3-D के कई CONCEPT हैं, लेकिन मेरे हिसाब से 3-D का मतलब DRINK-DINNER-DANCE। यह सारे पाप अंधेरों में ही होते हैं। समाज को रात्रि विवाह और भोज पर प्रतिबन्ध लगाना चाहिएै। पिछले दिनों मैं मध्यप्रदेश में था, लगभग संपूर्ण मध्यप्रदेश में रात्रि विवाह रात्रि भोज पर प्रतिबंध हैै। इधर झारखंड बिहार में जब से आया, यहां भी रात्रि विवाह रात्रि भोज पर सामाजिक स्तर पर प्रतिबंध हैै। ना के बराबर ही कोई शादी विवाह रात में होते हैं। यह एक अंकुश का कारण तो बना हैै।
तीसरी बात मैं आपसे क्या कहूं! मुझे मालूम पड़ा, यहां की एक दो संस्था के पदाधिकारियों ने बताया कि-“महाराज किस से कहें? हमारे शिखर जी की वंदना करने के लिए यात्री आते हैं और जब जाते हैं तो उसके बाद शराब की बोतले कमरों से मिल जाती हैं। हालांकि गुनायतन भाग्य से अभी तक बचा हुआ, पर अभी मुझे दो दिन पहले यह किसी संस्था के वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि-“महाराज! कैसे कहें?” यह क्या है? अंकुश होना चाहिए, कमेटी भी उस पर कितना नियंत्रण करे? एक एक आदमी का बैग तो चेक नहीं कर सकती! लेकिन जो लोग इस तरह का कार्य करते हैं, वह तीर्थ क्षेत्र पर आ करके अपने नर्क जाने का रास्ता खोल रहे हैं। अगर इतना तुम्हारा अपने आप पर नियंत्रण नहीं है तो तीर्थ क्षैत्रो में मत आओ! कंट्रोल करो, धर्म क्षेत्र में आकर के मधपानकरने वाले के लिए लानत होनी चाहिए।
मैंने एक बार ऐसे व्यक्ति को देखा, जो पहाड़ चढ़ा, उसको कहीं से गंध आ गई, उसने वहीं ले ली। क्या है यह? यह एक व्यसन है ऐसी चीज जो मनुष्य की बुद्धि को विवेक को कुंठित कर दे, लुंठित कर दे, उसे कहीं का ना छोड़े, ऐसी तालाब पैदा कर दे कि उसके बिना रह ना सके, यह व्यसन है । ये बहुत बुरी प्रवृत्ति है, और इस प्रवत्ति की रोकथाम के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए। हमें लोगों को सामूहिक संकल्प भी देना चाहिए। मैं तो कहता हूं जितने लोग इस प्रकरण को सुन रहे हैं, वे इसे अधिक से अधिक लोगों तक फैलाएं, और खुद इसका संकल्प ले और और लोगों को भी संकल्पित कराएं ताकि आप अपने धर्म को, आप अपनी परंपरा को, आप अपनी संस्कृति को, आप अपने समाज को सुरक्षित रख सको और अपना जीवन धन्य कर सको।
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