मोबाइल पर धार्मिक स्तोत्र पढ़ते समय सावधानियाँ

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शंका

मोबाइल पर धार्मिक स्तोत्र पढ़ते समय सावधानियाँ

समाधान

मोबाइल में अगर आप कोई भी धर्म संबंधी डाटा रखते हैं और उसको आप जैसे ही आप डाउनलोड करते हैं,  डाउनलोड करने के बाद आपको उसके प्रति उतनी ही शुद्धी रखनी चाहिए जितनी जिनवाणी की आराधना करते समय आप शुद्धि  रखते हैं। आप उस समय उसे मोबाइल न मानें; मोबाइल में उस समय अगर आपके स्क्रीन पर यदि जिनवाणी का DATA. है तो वह जिनवाणी है, अगर उसके CHIP   में पड़ा है तो कोई बात नहीं। उसे पूर्ण शुद्धता पुर्वक रखे और तभी उसके पाठ का अर्थ और लाभ है।

बहुत सारे लोग रखते आजकल धार्मिक प्रतीकों और पूरे ग्रंथों को, क्योंकि वे आज उपलब्ध हो गए हैं; अच्छी बात है, मैं उसका निषेध नहीं करता, पर उसमें तीन सावधानियां रखने की बात करता हूं। जिस भी मोबाइल में या जिस मोबाइल की चिप में धार्मिक पूजा-पाठ अथवा धर्म ग्रंथों का डाटा है, बल्कि गुरुओं का प्रवचन भी है- उसे अशुद्ध अवस्था में न छुएं, शुद्ध अवस्था  में छुएं। उस मोबाइल का ठीक ढंग से प्रयोग करें और जिस समय भी उसके डाटा को खोले तो शुद्धता का ख्याल रखें; ऐसा नहीं झूठे हाथों से, झूठे मुंह से आप जिनवाणी पढ़ने लगे, गाड़ी पर चलते हुए, ट्रेन में चलते हुए, गद्दी पर बैठे हुए आप पाठ करने लगे; बड़े-बड़े ग्रंथ भी आजकल लोगों ने अपलोड कर दिए है, लोगों ने मुझे दिखाए हैं, सारखंडागम जैसे ग्रन्थ, जिनेन्द्र सिद्धांत कोष जैसे ग्रन्थ, कहते हैं आज पचासी(८५ )ग्रन्थ नेट पर उपलब्ध है, लोगों ने अपलोड कर रखे हैं। तो यह सारे ग्रंथो का  होना अच्छी बात है, प्रचार प्रसार की दृष्टि से यह एक सुविधा है, लेकिन इसका विनय होना चाहिए, असाधना नहीं। 

मैं तो आप लोगों को पहले भी बोला कि पारस चैनल के कार्यक्रम या अन्य धार्मिक चैनलों के कार्यक्रम चाहे वो जिनवाणी हो या अन्य चैनल हो, आप देखते हो तो इन्हें धार्मिक कार्यक्रमों को कार्यक्रम की तरह ना देखें, एक अनुष्ठान की तरह देखें। इस समय पवित्रता का ख्याल रखें। मुझे पता है इस समय कई लोग खाना खाते खाते शंका समाधान देख रहे होंगे; अशुद्धता के साथ यदि तुम ऐसे कार्यक्रम देखोगे तो वो तुम्हारे मनोरंजन का साधन बनेंगे मनोभंजन का साधन नहीं बन पाएगा। मनोभंजन करो, मनोरंजन नहीं! जीवन में परिवर्तन- ताकि बैठ कर के तुम पुण्योपार्जन कर सको! 

यह शुद्धता सबको रखनी चाहिए, जो आवश्यक शुद्धता है यदि आप उसका पालन करेंगे तो न केवल आपको ज्ञानार्जन होगा, अपितु  पापों का क्षय भी होगा, पुण्य का आस्रव होगा, परिणामों की शुद्धि होगी। “महाराज क्या करें? कार्यक्रम आते हैं तो वही समय खाने का, वही आपके काम का है” तो यह तो टाइम फिक्स है, खाने का समय पीछे कर सकते हैं, पीछे थोड़ासा एडजस्ट करके आप लोग करिए तो आपको दोहरा लाभ होगा और जिनको मजबूरी है वो रिकॉर्ड करके इस कार्यक्रम को थोड़ी देर बाद सुनें।या दिन भर में जो कार्यक्रम आएं, यदि आप विनय का ध्यान रखेंगे तो वह आपके जीवन के गुणात्मक परिवर्तन का आधार बनेगा।

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1 comment
  • Dharmi August 16, 2024 at 9:28 am

    जय जिनेन्द्र

    मेरी और मेरे पति की धार्मिक रुचि है। हम साथ में स्वाध्याय भी करते हैं और चर्चा भी करते हैं। पति नौकरी भी करते हैं. बच्चे करने का कोई कारण समझ नहीं आता। ना ही हमारी इच्छा है. बाल्की यही लगता है कि उसके आने से जितना धर्म कर रहे हैं वह भी नहीं कर पाएगा। क्या करे?

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