शंका
मन्दिर में द्रव्य चढ़ाना भी उतना आवश्यक जितना भूखे को दान!
समाधान
“रिक्तपाणिर्न कर्तव्यं देवतागुरुदर्शनम्।”
देवता और गुरु का दर्शन हम खाली हाथ नहीं करते, यह हमारी परिपाटी है। मन्दिर जाओ तो कुछ लेकर जाओ, इतने तो समर्थ तो! मन्दिर जाओ तो मन्दिर में भी द्रव्य चढ़ाओ, रास्ते में कोई भूखा दिख जाए तो उसको भी दो। कदाचित ऐसा हो कि तुम मन्दिर के लिए द्रव्य लेकर जा रहे हो और रास्ते में कोई भूखा-पीड़ित मिल जाए और वह द्रव्य उसको भी खिला दो, तो दोष नहीं; लेकिन इसके लिए मन्दिर की कटौती मत करो।
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