शंका
क्या जीवों ने इतने पुण्य अर्जित कर लिए हैं कि विश्व में मानव संख्या बढ़ती जा रही है?
समाधान
मनुष्यों की संख्या दिनों दिन बढ़ रही है, पर मनुष्यता दिनों दिन क्षीण हो रही है। शक्ल आदमी की है और प्रवृत्ति जानवरों से बढ़कर हो गई है, जानवरों से भी बदतर। मैं मानता हूँ कि वर्तमान में मनुष्यों की संख्या का बढ़ना पुण्य की वृद्धि का प्रतीक नहीं है, अपितु इस धरती में बढ़े हुए पाप का प्रकोप है इसका ही परिणाम यह है कि अन्य प्राणियों की नस्लें कम हो रही है और आदमी की संख्या बढ़ती जा रही है।
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