शंका
क्या करें कि जैन धर्म जन जन का हो जाए?
समाधान
ऐसा स्पष्टतया कहा जा सकता है क्योंकि जैन जातिवाची शब्द नहीं, गुणवाची शब्द है। जिन से जैन बना है। जो अपनी आत्मा के विकारों को जीते- वह जिन है और जो जिन की उपासना करें या जिन को अपना आदर्श माने- वह जैन है, तो यह गुणवाची शब्द है, जातिवाची शब्द नहीं। कोई भी व्यक्ति अपने आचार और विचार में जिनेन्द्र भगवान के उपदेशों को आत्मसात कर जैनत्व को प्रकट कर सकता है और हमें इसे ठीक ढंग से प्रस्तुत करना चाहिए।
Leave a Reply