कहीं का दान कहीं और दे दें, तो क्या ऐसा करना उचित है?
जिस संस्था के लिये आपने दान की घोषणा की है, आपकी पहली कोशिश होनी चाहिए कि उसी कार्य में ये पैसा लगे, क्योंकि जनता ने पैसा दिया है, आपने पैसा नहीं दिया है और जनता ने उस संस्था पर विश्वास और भरोसा करके पैसा दिया है। फिर यदि आपको ऐसा लगता है कि उस संस्था में इसका सही उपयोग नहीं हो रहा है, तो पूछताछ करें और संस्था वालों से पूछें कि ‘भाई! हमारे पैसे हैं और हम देख रहे हैं कि आपके यहाँ कोई उपयोग नहीं हो रहा है, यदि कोई है, तो अपनी उपयोगिता बताइए, हम आपको पैसा भेजेंगे और उपयोगिता नहीं है, तो हम आपके पैसे के बारे में पुनर्विचार करेंगे।’
एक बार एक बहन जी ने मुझसे कहा कि ‘महाराज जी! हमने एक जगह मन्दिर के लिये कुछ पैसा बोला था, पता लगा कि १० साल हो गए, वहाँ कुछ काम ही नहीं हुआ, केवल ज़मीन खरीद करके रह गए, अब हम क्या करें?’ मैंने कहा- “आपने उनसे सम्पर्क किया?” उन्होंने कहा- ‘कई बार पत्र लिखा, लेकिन कोई जवाब नहीं आया।’ हमने कहा- “मेरे कहने से एक आखिरी पत्र और लिख दो कि मुझे आपकी राशि बोले हुए १० साल हो गये हैं, आपकी तरफ से अभी तक कोई सूचना नहीं आई है और मुझे लगता है कि आप हमारे दान लेने के लिये उत्सुक नहीं हैं या उसमें दिलचस्पी नहीं रखते हैं, तो मैं अपनी इस राशि को अन्यत्र भेजना चाहती हूँ। यदि आप को इसमेंं कोई आपत्ति हो, तो हमें सूचना दें।” उन्होंने पत्र लिखा, सामने वाले का कोई जवाब नहीं आया। हमने कहा- “अब दान जहाँ देना है, दे दो। बता करके दान दो, ऐसे डायवर्ट करना ठीक नहीं है” जिस संस्था के काम अच्छे चल रहे हों, उस संस्था में बढ़-चढ़कर के सहयोग दो, उसमें कोई कमी नहीं हो।
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