हमें अपने धर्म , संस्कृति और परंपरा के लिए क्या करना चाहिए?

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शंका

हमें अपने धर्म , संस्कृति और परंपरा के लिए क्या करना चाहिए?

समाधान

मैं तो इतना कहता हूँ, 

 “जो पहुँच चुके हैं मंज़िल तक उनको तो नहीं है नाज़-ए-सफर, 

 दो कदम अभी तक चले नहीं रफ्तार की बातें करने लगे।”

अभी तो चलना शुरू किया है, अभी किसी शिलालेख की जरूरत नहीं है। हमें एक नया लेख लिखने की आवश्यकता है- समाज के निर्माण की। इतिहास बनाए नहीं जाते, इतिहास अपने आप बन जाते हैं। समाज ने जिस एकता और अखंडता का परिचय दिया, यदि इसे बरकरार रखा जाए, तो वह दिन दूर नहीं जब सारे भारत में जैनियों की दुंदुभी बजेगी। समाज को एकता चाहिए, अखंडता चाहिए इसलिए मैं इतिहास लिखने पर भरोसा नहीं करता। मैं चाहता हूँ, सबके जीवन में इतिहास बने, इतिहास बनेगा तो इतिहास अपने आप लिखा जाएगा। इसलिए हमें प्रयास करना है, अभी तो शुरुआत है एक अभियान की, इसमें बहुत काम करना है। आगे बहुत सम्भावनाएँ मुझे दिख रही है और होनहार होगी तो सब प्रकट भी होंगी। 

मैं चाहता हूँ कि पूरे देश भर में जहाँ-जहाँ यह आंदोलन हुआ वहाँ का पूरा डाटा एक जगह एकत्र होना चाहिए, जयपुर से उसका प्रकाशन करने की योजना भी यहाँ बनाई गई है। आंदोलन में सक्रिय भागीदारी रखने वाले लोगों का पूरा डिटेल यहाँ भेजें ताकि आप की क्षमता का सही आंकलन करते हुए उनका नियोजन किया जाए और सही दिशा में उसका दोहन किया जाए, समाज का उत्कर्ष हो। इसलिए मैं तुमसे और तुम जैसे सारे युवाओं को भी यह संदेश देना चाहता हूँ, अभी हमने कुछ नहीं किया बहुत काम करना है और काम करने के लिए केवल अपने मन बनाने की जरूरत है। जो भी ग्रुप में active participation (सक्रिय भागीदारी) देना चाहते हैं, योगदान देना चाहते हैं उन सबका स्वागत है और जुड़ना चाहिए ताकि हम अपने धर्म, संस्कृति, परम्परा के लिए कुछ सार्थक कर सकें।

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