दशलक्षण की झांकियों का स्वरूप कैसा हो?
दशलक्षण बड़ा पवित्र पर्व है और इन दिनों हमें अपने आध्यात्मिक भाव विशुद्धि का परिपूर्ण ध्यान रखना चाहिए। कोशिश करनी चाहिए कि हमारी प्रवृत्ति यथासंभव संयत हो, इन दिनों लोग खाना-पीना भी एक टाईम करते हैं, पूजा-पाठ करते हैं, हम व्रत उपवास भी रखते हैं तो यह सब अपनी बहिर्मुखता को नियंत्रित करने के उपाय हैं। चूंकि यह पर्व है, उत्सव है, लोग सम्मिलित होते हैं तो सांस्कृतिक कार्यक्रम के नाम पर अनेक तरीके के ऐसे कार्यक्रम भी आजकल प्रस्तुत कर दिए जाते हैं, जिनका हमारी संस्कृति से कोई लेना देना नहीं। मैं उन्हें पसंद नहीं करता, यह सब आर्त्रध्यान का कारण बन जाते है। झांकी आदि का निर्माण अगर लोगों को संदेश देने के लिए किया जाए तो गलत नहीं है। पर झांकी का निर्माण करते समय इस बात का पूर्ण ध्यान रखना चाहिए कि आपके द्वारा प्रस्तुत झांकी में कोई सार सन्देश हो जिसे देखकर लोग धर्म का पाठ सीख सकें, लोगों के जीवन में वैराग्य उमड़ सके, धर्म की श्रद्धा प्रकट हो सके या जीवन की समझ विकसित हो सके और उसके साथ ही यदि आप कोई झांकी लगाए तो उसमें इस बात का ध्यान रखें कि इसका कंसेप्ट ऐसा हो, ज्यादा लाइट आदि की आवश्यकता ना पड़े जो अनावश्यक जीव हिंसा का कारण बने।
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