समाज में दया धर्म उद्घाटित करने के लिए क्या करें?

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शंका

समाज में दया धर्म उद्घाटित करने के लिए क्या करें?

समाधान

मैं आपकी बात से पूरी तरह से सहमत नहीं हूँ कि समाज में दया धर्म दिखाई नहीं देता। आज भी जितनी दया और अहिंसा की पालना जैन समाज में होती है, मैं कहता हूँ, भारत के किसी भी समुदाय में नहीं होती होगी, यह जैनियों की करूणाशील वृत्ति का उदाहरण है। 

हो सकता है, कतिपय लोगों में यह ना दिखे पर मैं इस तरह के नकारात्मक चिंतन से कभी प्रभावित नहीं होता। हर समाज में अच्छाइयाँ भी होती है, तो कुछ बुराइयाँ भी होती है, हम अच्छाइयों को उभारें। मन्दिर, मूर्ति, पूजा-प्रतिष्ठा-विधान, यह हमारी दया करुणा को बढ़ाने के लिए, हमारी धार्मिक भावनाओं के उद्दीपन के लिए निमित्त हैं। इनके होने से व्यक्ति के भीतर की दया गुम नहीं हो रही, अपितु जो इनसे विमुख हैं उनके अंदर कठोरता ज्यादा आ रही है। तो हमे चाहिये व्यक्ति के भीतर की संवेदना को जगाएँ और उनके हृदय में जैनत्व की ठीक रीति से प्रतिष्ठा करें ताकि वह जैन धर्म को ठीक ढंग से समझ सकें और अपने जीवन में भी आत्मसात कर सकें।

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