क्या भगवान हमें संपत्ति, संयोग और अनुकूलता देते हैं?
पहली बात तो यह कि वीतराग भगवान रागी-द्वेषी नहीं हैं, ना देते हैं ना लेते हैं। और जो रागी-द्वेषी हैं क्या वह दे सकते हैं या ले सकते हैं?
जो लोग यह बोलते हैं कि “वीतराग भगवान का तो कोई लेना देना नहीं हैं इसलिए वीतराग भगवान को छोड़ दो। रागी-द्वेषी लेने देने वाले हैं तो उनसे नाता जोड़ो।” ध्यान रखना अगर रागी-द्वेषी लेने और देने में समर्थ हो, तो हमारे वीतराग भगवान भी लेने और देने में समर्थ हो सकते हैं। रागी-द्वेषी भी लेने देने में समर्थ नहीं हैं। दुनिया में कोई भी ऐसा देवता नहीं जो किसी के प्राण को बचा ले, दुनिया में ऐसा कोई भी देवता नहीं जो किसी की विपत्ति को स्थाई रूप से निवारित कर दे, दुनिया में ऐसा कोई देवता नहीं जो किसी के जीवन में आने वाले विषमता को दूर कर दे। विपत्ति, वियोग, विषमता यह मनुष्य के कर्म से होते हैं और महापुरुषों के जीवन में भी आते हैं। संपत्ति, संयोग और अनुकूलता यह पुण्य के निमित्त से आते हैं। तो जिनके पुण्य का उदय होता है उसके लिए कोई साधारण व्यक्ति भी निमित्त बन जाता है और जिनका पापोदय होता है उनके लिए बड़े-बड़े निमित्त भी काम नहीं करते। यथार्थतः कोई किसी को ना ले सकता हैं, ना दे सकता हैं, केवल निमित्त बन सकता है और इसलिए भगवान यथार्थतः हमें ना कुछ देते हैं ना हम से लेते हैं लेकिन फिर भी भगवान के निमित्त से हम बहुत कुछ पा लेते हैं। यह हमारे ऊपर है यदि हम विशुद्ध भावना से भगवान की आराधना करें तो हमे वह पुण्य की प्राप्ति होगी जो हमारे सारे अनिष्टों के निवारण में समर्थ हो सकता हैं।
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