स्वर्ग या नरक कहाँ है?
स्वर्ग भी यही है नरक भी यही है ऐसा जो लोग कहते हैं उनकी बात किसी दृष्टि से सही है पर सब दृष्टि से सही नहीं। स्वर्ग और नरक की जब हम बात करते हैं तो हम कहते हैं कि स्वर्ग में सुख है नरक में दुःख है। लेकिन धरती पर स्वर्ग और नरक की बात हम करते हैं तो दुनिया मे ऐसा एक भी व्यक्ति नहीं मिलेगा जिसके जीवन में केवल सुख हो और ऐसा एक भी व्यक्ति नहीं मिलेगा जिसके जीवन में केवल दुःख हो। दुनिया में सुखी आदमी के जीवन कभी ना कभी दुःख आता है या उसके सुख की एक सीमा होती है। और कितना भी बड़ा दुःखी व्यक्ति क्यों ना हो एक क्षण लिए उसके मन में भी दुःख आता है और उसके दुःख की भी एक सीमा होती है जिसे किसी ना किसी प्रकार से वह सहन करता है।
तो यह जो इस धरती के स्वर्ग और नरक की बात करते हैं इसे दूसरे शब्दों में कहें सुख और दुःख की इनकी अपनी एक सीमा है। इस धरती पर मनुष्य या प्राणी जो सुख भोगता है वह एक सीमा है उसे उत्कृष्ट स्तर का भी कोई सुख होता होगा उस सुख को भोगने के लिए स्वर्ग जाना पड़ता है और इस मनुष्य जो दुःख भोगता है इस से भी गहरा जो दुःख है उसे भोगने के लिए नरक जाना पड़ता है। तो सुख और दुःख का ऐसा संबंध है चलता रहता है और आगे बढ़ना पड़ता है।
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