शंका
२४ तीर्थंकर के तो पाँचों कल्याणक होते हैं, पर अनन्तानन्त सिद्ध भगवान मोक्ष जाते हैं तो उनके कल्याणक दो या तीन ही होते हैं, तो उन्होंने क्या कम पुण्य किया?
समाधान
निश्चित कम किया, सर्वाधिक पुण्य प्रकृति जो हैं वो तीर्थंकर प्रकृति हैं; और इस परम पुण्य के भागीदार प्रत्येक कल्पकाल में, काल चक्र में, अवसर्पर्णि- उत्सर्पणि में २४-२४ होते हैं। यानि एक कल्पकाल में ४८ होते है भरत क्षेत्र में; इतने ही ऐरावत क्षेत्र में; विदेह की बात अलग है। तो यह ‘पुण्य फला अरिहन्ता’ जो कहा गया, वह मुख्य रूप से तीर्थंकरों की अपेक्षा कहा गया। तो विशिष्ट पुण्यशाली जीव तीर्थंकर प्रकृति का बन्ध करते हैं।
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