शंका
परिग्रह परिमाण मतलब सीमित पाप!
समाधान
अपनी सीमा से बाहर जाते हो तो पाप है, अन्दर रहते हो तो सीमित पाप है। सीमा से बाहर जाओगे तो असीमित पाप होगा, सीमा के भीतर रखोगे तो सीमित पाप होगा।
आप यह मत सोचना कि मैंने परिग्रह का परिमाण कर लिया तो अब मुझे पाप नहीं लगेगा। परिग्रह के परिमाण करने का मतलब, सीमित पाप लगना, क्योंकि परिग्रह पाप है, तो जितना परिग्रह उतना पाप! उसका उल्लंघन कर लोगे तो ज्यादा पाप!
आपने बोला- ” मैं अभी व्रती नहीं हूँ, व्रती-वत आचरण करती हूँ, कुछ – कुछ संकल्प लेती हूँ, तो क्या मेरी निर्जरा होगी या नहीं?” जितना संकल्प लेंगे, निर्जरा होगी। बाद में जब विकल्प करोगे, निर्जरा बंद हो जाएगी। इसलिए आप दृढ़ संकल्प लो, ऐसा संकल्प कि बाद में कोई विकल्प ही न बचे।
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