शंका
आवीचि मरण और तद्भव मरण में क्या अंतर है?
समाधान
किसी भी जीव की आयु अनन्त काल की नहीं होती। ३३ सागर से अधिक आयु संसार में किसी की नहीं होती। ३३ सागर की आयु दो ही जगह होती है। पहली सर्वार्थसिद्धि या पंचअनुत्तर विमान और सप्तम नरक।
आवीचि मरण या नित्य मरण दोनों एकार्थक हैं। हमारी आयु की संपूर्णतया क्षय हो जाने को अन्त मरण या तद्भव मरण कहते हैं, जिसको हम लोग मृत्यु भी कहते हैं। किन्तु उससे पूर्व हर क्षण जो हमारी आयु झर रही है, इसे कहते हैं नित्य मरण या आवीचि मरण! समुद्र में उत्पन्न होने वाली लहर की तरह उठने वाली और विलीन होने वाली प्रतिक्षण क्षीण होने वाली आयु को आवीचि मरण कहते हैं।
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