शंका
सोलहकारण के व्रत हैं किन्तु बारह भावना के नहीं, ऐसा क्यों?
समाधान
भावना अलग चीज़ है और महापर्व अलग! दशलक्षण को महापर्व कहा, सोलहकारण को व्रत कहा गया। सोलहकरण पर्व जो बोला जाता है, वह वास्तविकता में सोलहकारण व्रत है। पर्व तो दशलक्षण है जो हम युग के आरंभ से जुड़े हुए रूप में मनाते हैं। बारह भावनाओं के लिए कोई व्रत चलन में नहीं आया, क्योंकि सोलहकारण से सीधे तीर्थंकर प्रकृति का बन्ध होता है इसलिए उसको प्रमुखता मिल गई। बारह भावना वैराग्य की जननी है और उसके लिए विशेष व्रत की बात ना करके, महाव्रती बारह भावनाओं का विशेष चिंतन करते हैं।
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