शंका
दर्शन मोहनीय बन्ध का कारण और निवारण!
समाधान
नहीं, दर्शन मोहनीय का बन्ध मिथ्यात्व गुणस्थान में ही होता है। दर्शन मोहनीय बन्ध के कारण को तत्त्वार्थ सूत्र में बताया है।
“केवलिश्रुत-संघधर्मदेवावर्णवादोदर्शनमोहस्य”
केवली का, श्रुत का, संघ का, धर्म का, देव का, अवर्णवाद करने से दर्शन मोहनीय कर्म का तीव्र बन्ध होता है और यह सब मिथ्यात्व रूप अवस्था में ही होता है।
Leave a Reply