आषाढ़ी पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा क्यों कहते हैं?
मैंने जितना अभी तक पढ़ा है, उसके हिसाब से ऐसा कोई उल्लेख तो देखने को नहीं मिलता कि आषाढ़ी पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा की संज्ञा दी जाए। लेकिन जब हम श्रमण परंपरा के इतिहास को पलट कर देखते हैं तो हमे लगता है कि आषाढ़ी पूर्णिमा हमारे लिए गुरु पूर्णिमा ही है। इसलिए कि हम गौतम स्वामी की कथा को सामने रखकर के चले।
इन्द्रभूति गौतम, भगवान महावीर के समवसरण में पहली बार आषाढ़ी पूर्णिमा को ही आया था। लेकिन इंद्रभूति जब भगवान महावीर के समवसरण में आया, उससे पहले भगवान को केवल ज्ञान हुए छयासठ दिन हो गए थे। भगवान की वाणी नहीं खिरी। इंद्रभूति गौतम भगवान के चरणों में आया और उसके हृदय का अंधकार दूर हुआ। वह भगवान की शरण में आया और भगवान को अपना गुरु बनाया। इंद्रभूति को गुरु मिले! तब इंद्रभूति के निमित्त से भगवान की वाणी खिरी और हम लोगों के लिए शास्त्र मिला। और जब तक भगवान उपदेश ना दें तब तक वह हमारे देव भी नहीं। तो कल की घटना गुरु पूर्णिमा की घटना के निमित्त से – इंद्रभूति को गुरु मिले, हमें भगवान मिले, और भगवान की वाणी के रूप में शास्त्र मिले और इंद्रभूति के रूप में हम सब के लिए भी एक गुरु मिले। तो कल की तिथि हमारे लिए देव, शास्त्र, गुरु इन तीनों को मिलाने की तिथि है। वह पूर्णिमा, पूर्ण माँ बन गई ऐसा समझना।
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