भगवान को स्वस्तिक बनाकर ही क्यों विराजमान किया जाता है?
भगवान को स्वस्तिक बनाकर इसलिए विराजमान किया जाता है क्योंकि स्वास्तिक को सारे जगत के कल्याण का प्रतीक माना जाता है, और ऐसा कहते हैं कि जहाँ स्वास्तिक है वहाँ स्थिरता है, अस्थिर नहीं। स्वास्तिक का मतलब स्थिर है। हम भगवान की पूजा अपनी स्थिरता के लिए करना चाहते हैं इसलिए स्वास्तिक बना करके भगवान को इस पर रखते हैं। जिससे भगवान अचल हो जाए, भगवान के प्रति मेरी निष्ठा अचल हो जाए। स्वास्तिक स्थिरता का प्रतीक इसलिए भी है क्योंकि स्वस्तिक, अयोध्या और सम्मेद शिखर जी में किसका अंकन स्वस्तिक (जो स्थाई हो, जो टिकाऊँ, हो जो शाश्वत है), वो स्वस्तिक में होगा। जो सबके कल्याणकारी है, तो भगवान की पूजा हम टिकाऊ तरीके से करना चाहते हैं। अस्थिर तरीके से नहीं! इसलिए भगवान के चरणों के नीचे, भगवान को स्वास्तिक के ऊपर विराजमान करते हैं। हर मांगलिक कार्यों में स्वस्तिक की उपयोगिता बताई गयी है।
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