कभी हम सही होते हैं फिर भी सामने वाला हमें गलत समझता है। फिर हमें विकल्प होता है, समता नहीं रहती है उस समय क्या करें?
यदि हम सही हैं, सामने वाला हमें सही समझे या नहीं समझे इसका विकल्प न करें। हम सही हैं, तो अपने आप को सही बनायें रखें। हम अपने आप को कहीं से गलत न बनने दें। सामने वाला यदि आपके कार्य को सही नहीं भी समझता तो ये सोचे कि ये मेरा कर्म का उदय है, हो सकता है कि मैं उनकी अपेक्षा में खरा न उतरा हूँ। शायद मेरी कमी हो, पहली कोशिश करें अपनी कमी को पूरा करने का; उसके बाद भी सामने वाले के मन में सन्तोष न हो तो ये मान के चलें कि ये मेरे कर्म का उदय है। अपनी समता को खोने न दें। ये ध्यान रखें कि आप के हाथ में सिर्फ इतना है कि आप सही से काम करें। आप के हाथ में यह नहीं है कि सब लोग उसे सही माने। मैं कोई अच्छा काम करूं ये मेरे अधीन है। लेकिन उसे दुनिया अच्छा माने ये भाग्य के अधीन है।
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