क्या विवाह के समय जन्मकुण्डली मिलाना जरूरी है? जन्मकुण्डली का क्या महत्त्व है?
आज के सन्दर्भ में देखा जाए तो मेरे विचार से जन्मकुण्डली का कोई भी महत्त्व नहीं है। क्योंकि पहले व्यक्ति का जन्म अनियत होता था, मरण अनियत होता था। व्यक्ति घर में जन्मता था और गुरुचरणों में मरता था और आज अस्पताल में ही जन्मता है और अस्पताल में ही मरता है। अब व्यक्ति कहाँ जन्मता है वो प्रकृति का नियोग तो अलग है; डिलेवरी (delivery) हो रही है नर्सिंग होम में, उसके गाँव से २००-२५० किलोमीटर दूर। कोलकत्ता जैसे एक शहर में एक साथ हजारों बच्चों का जन्म हो रहा है, तो वहाँ के अक्षांश-देशांश के हिसाब से उनकी जो कुण्डली बनेगी सब की एक समान होगी। दो अलग-अलग बेड में एक साथ जन्में बच्चों की एक सी कुण्डली होगी। अब इस कुण्डली को हम क्या कहें?
फिर भी यथासम्भव मिलाओ पर, लकीर के फ़क़ीर मत बनो। मेरी नजर में कुण्डली मिले या न मिले; mental vibration जरूर मिलना चाहिए। वो मिल जाये तो आपका सारा काम हो सकता है।
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