मैं तीर्थयात्राएँ कराता हूँ, मेरे साथ १०-४० दिन तक यात्रा करने वाले लोग होते हैं और उनमें श्राविकाएँ ज्यादा होती हैं। उसमें मासिक धर्म के बारे में किन नियमों का पालन होना चाहिए?
मासिक धर्म के समय हमारे धर्म में कुलाचार के प्रति जो शुद्धियाँ हैं, उस शुद्धि का पालन करना चाहिए। तीर्थयात्रा के दौरान एक ही बस में सब सवार होना है, तो इन लोगों की एक अलग सीट होनी चाहिए। क्योंकि एक-एक माह डेढ़-डेढ़ माह की लम्बी यात्राएँ होती हैं तो उनकी सीट अलग होनी चाहिए। उनके भोजन-पानी की व्यवस्था पृथक रूप से करनी चाहिए। एक दूसरे से छुआछूत नहीं करना चाहिए। तीन दिन तक पूर्ण शुद्धता पूर्वक रहना चाहिए। चौथे दिन गर्भगृह के अन्दर प्रवेश न कर के बाहर से भगवान का दर्शन कर सकते हैं और पाँचवे दिन शुद्ध होकर देव पूजा आराधना भी कर सकते हैं। इस शुद्धि का पालन करना है।
इसी क्रम में अशुद्धि पर कई दिनों से प्रश्न और रहा है कि क्या अशुद्धि में पारस चैनल पर महाराज श्री के प्रवचन सुन सकते हैं और देख सकते हैं? मैंने इसके बारे में कई बार बताया। मैं बार-बार कहता हूँ कि इस धार्मिक आयोजन के कार्यक्रम टी.वी. पर दिखाए जाते हैं इसमें जितने भी धार्मिक आयोजन हैं, ये आयोजन नहीं हैं, अनुष्ठान हैं और इन्हें अनुष्ठान की भांति देखें ताकि आपको पुण्योपार्जन हो। जो क्रिया मन्दिर में नहीं करते हैं, उसे टी.वी. के चैनल के सामने करना कतई उचित नहीं है। आप ऐसा कर सकते हैं कि अशुद्धि के समय में आवाज सुन सकते हैं, दृश्य नहीं। मन लगाकर सुनना चाहते हैं तो ऐसी व्यवस्था करवा दो, टी.वी. का मुँह दीवार की तरफ कर दो, सुन लो कोई बुराई नहीं है। लेकिन चित्रों को देखना जिसमें मुनिराजों और तीर्थंकरों की तस्वीर हो, बिल्कुल उचित नहीं है।
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