क्या बीमारी दूर करने हेतु स्त्रोत पाठ करना मिथ्यात्व है?

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शंका

यदि हम अपनी बीमारी को दूर करने के लिए भक्तामर स्रोत का पाठ करें, तो क्या हमें मिथ्यात्व का दोष लगेगा?

समाधान

बीमारी दूर करने के लिए स्रोत का पाठ करने से कोई मिथ्यात्व नहीं होता। मिथ्यात्व तब होता है, जब हम वीतराग भगवान की पूजा को छोड़कर अन्य की पूजा आराधना करते हैं। जैसे एक व्यक्ति बीमार हो तो वह डॉक्टर के पास जाकर उसकी चिकित्सा कराता है, क्योंकि बिना स्वास्थ्य लाभ हम अपने जीवन को आगे नहीं बढ़ा सकते हैं। इसी प्रकार कोई बीमार व्यक्ति यदि मन्त्र की आराधना करता है, भगवान की पूजा करता है या कोई पाठ जाप करता है, तो इसमें कुछ भी असंगत जैसा नहीं समझना चाहिए। बीमार व्यक्ति कहाँ जाये? भगवान की शरण को छोड़कर और कोई दूसरी शरण भी तो नहीं है।

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