मुनि बिना कपड़ों के सर्दी कैसे सहते हैं?

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शंका

आप कपड़े क्यों नहीं पहनते हैं? इतनी सर्दी को कैसे बर्दाश्त करते हैं?

समाधान

एक बार पत्रकार ने मुझसे प्रश्न किया। मैं बंगाल में विहार कर रहा था। बांगलादेश की सीमा से लगे इलाकों में मुर्शिदाबाद की ओर विहार चल रहा था। एक मुस्लिम पत्रकार था तो उसने आकर मुझसे प्रश्न कि या कि ‘आप नग्न क्यों हो?’ तो मैंने कहा कि “आप कपड़े क्यों पहने हो?” उसने कहा ‘इसलिए कि हमारे अन्दर बहुत सारी चीज ऐसी हैं जिसे ढाँककर रखना चाहिए।’ मैंने कहा कि “क्यों ढँककर रखना चाहिए?” तो उसने कहा कि ‘हमारे अन्दर विकार हैं इसलिए ढँककर रखना चाहिए।’ तो मैंने कहा कि “तुम्हारे अन्दर विकार हैं तुम्हें ढँककर रखने की जरूरत है हमारे अन्दर कोई विकार नहीं है इसलिए हमें ढँककर रखने की जरूरत नहीं है।” कपड़ा वहीं पहनता है जिसके भीतर कोई विकार है। जो निर्विकार है उसे कोई वस्त्र पहनने की जरूरत नहीं है।

 मैंने उससे कहा कि “आप की ग़लतफहमी है कि हम नग्न हैं। किसने कहा कि हम नग्न हैं?” उसने कहा कि ‘आपने कपड़े नहीं पहने।’ हमने कहा कि “कपड़े पहनने से क्या होता है। हम नग्न नहीं दिगम्बर है। नग्न और दिगम्बर में बहुत अन्तर होता है। नग्न तो भोगी और विलासी भी होता है। लेकिन हम दिगम्बर हैं। हममें और आप में कोई अन्तर नहीं है। आपने तंतुओं के कपड़े पहने है हमने दिशाओं को अपना वस्त्र बना लिया है। हम दिगम्बर हैं। साधु दिगम्बर होता है।” 

 अब आपने पूछा है कि महाराज जी इतनी सर्दी को कैसे बर्दाश्त करते हैं? मैं आपसे पूछता हूँ कि कितनी भी सर्दी क्यों न हो, आप पूरे शरीर को cover (ढँक) करके रखते हो; कभी अपने चेहरे को cover करते हो? क्यों? जैसा आप का शेष शरीर है वैसा ही चेहरा है। पूरे शरीर को ठंड लगती है, तो चेहरे को ठण्ड क्यों नहीं लगती है। शरीर की जो त्वचा है वहीं चेहरे की त्वचा है कोई अलग तो नहीं है, लेकिन अन्य जगह ठण्ड का एहसास होता है पर चेहरे में नहीं होता है। क्या कारण है? यहाँ resistance (प्रतिरोधक क्षमता) ज़्यादा है और यहाँ resistance कम है। यहाँ की resistance बढ़ गई क्योंकि आपने इसे कभी ढँका नहीं है। पूरे शरीर को cover करके रखते हो इसलिए आपकी resistance कम हो जाती है। तो बस सार की बात यही है कि यदि आप अपना resistance (प्रतिरोधक क्षमता) बढ़ा लो तो आपको सर्दी व गर्मी की बाधा को सहने की शक्ति आ सकती है। हमने अपनी साधना से उसे बढ़ा लिया इसलिए आप कपड़ा पहनकर के भी कांपते हैं और हम बिना कुछ पहने ही मस्त रहते हैं।

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