परमात्मा, महात्मा, धर्मात्मा, दुरात्मा, पापात्मा और हम सब में क्या अन्तर हैं?
परमात्मा – जिन्होंने आत्मा की परम अवस्था को प्रकट कर लिया वे परमात्मा होते हैं।
महात्मा – जिन्होंने अपने जीवन में महानता को प्रकट कर लिया। आचार्य कुन्द कुन्द की दृष्टि से-जिन्होंने महाव्रत को अंगीकार कर लिया, वो महात्मा हैं। महानता के रास्ते को अंगीकार करने वाला महात्मा हैं। लौकिक दृष्टि से जो महान कार्य को करता है वो महात्मा हैं।
धर्मात्मा – जो व्यक्ति धर्म के कार्यों को अच्छे तरीके से करता है और अपना जीवन सात्विक और सदाचार के साथ जीता है और जो कभी किसी को कष्ट नहीं देता वो धर्मात्मा है।
दुरात्मा – वो व्यक्ति, जो अपने हितों की पूर्ति के लिए दूसरों के हितों में बाधक बन जाता है, दुरात्मा कहलाता है।
पापात्मा – जो सदैव हिंसा, हत्या, पाप और अनाचार के मार्ग में लगा रहता है। घास-फूस की तरह उखाड़ कर मारने का कार्य, जैसा कसाई जानवरों के साथ करता है, वो पापात्मा की संज्ञा के अन्तर्गत है।
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