शंका
संगठन – सहयोग, समन्वय, सद्भावना! तीनों से बने हैं इन तीनों को सूक्ष्म विस्तार रूप से समझा दें।
समाधान
मैं इसे दूसरे तरीके से बोलता हूँ, आपके भीतर संवेदना हो तो ये चारों अपने आप आ जायेंगे। जब तक आपके भीतर संवेदना जागृत नहीं होती तब तक आप किसी को जोड़ ही नहीं सकते; न सहयोग दे सकते हैं, न उनके प्रति सहानुभूति दिखा सकते हैं, न आपके अन्दर सद्भावना आ सकती है, और संगठन तो फिर कभी खड़ा हो ही नहीं सकता। इसलिए ये सब चीजें आप जब करना चाहते हैं तो अपने हृदय की संवेदना जगाएं। आपके अन्दर की आस्था बलवती होगी और सारे रास्ते साफ हो जायेंगे।
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