लोग रात्रि भोजन का तो त्याग कर देते हैं, लेकिन दस प्रकार का फलाहार करते हैं। क्या यह उचित है? इससे तो अच्छा है कि एक रोटी सब्ज़ी बनाकर रख दें और उसी को खा लें।
वो फल-आहार नहीं, ‘FULL’आहार (पूर्ण) हो जाता है। हमसे एक दिन एक बच्चे ने कहा-‘महाराज जी! रोटी खाने में पाप है। कलाकन्द खाने में तो पाप नहीं होता है?’
फलाहार वास्तव में है क्या? लोगों ने फलाहार को एकदम पगडंडी से राजमार्ग बना लिया है। ये फलाहार तो तब है, जब आप दिन में भोजन नहीं कर पाए और आकुलता हो रही है। तो उस आकुलता में अपने आप को बचाने के लिए एक सेब खा लिया, या एक केला खा लिया, या दूध पी लिया, ये है फलाहार।
हम तो आपसे कहते हैं कि रात्रि भोजन से यदि आप सही अर्थ में बचना चाहते हैं तो रात में कुछ भी न खाएँ, और यदि खाना ही है, तो रात में processed (प्रक्रिया) की हुई कोई चीज न खायें, जिसको अग्नि पर पकाना पड़े, ऐसी कोई चीज न खायें। आप तैयार चीज खायें, dry fruit (सुखा मेवा) ले लें, और अपना काम चला लें। हम लोगों को याद कर लें, सारे काम हो जायेंगे।
Leave a Reply