शंका
वर्षा काल में, चार्तुमास में, जब जीव हिंसा होने की ज़्यादा आशंका हो तब तीर्थराज पर्वत की वन्दना करने में क्या अतिरिक्त पाप का बन्ध है?
समाधान
वर्षा काल में जीव हिंसा की अधिकता के कारण मुनिराज अपनी सारी प्रवृत्तियाँ रोक कर एक जगह रहते हैं और हम इसलिए चार्तुमास में पर्वत की वन्दना नहीं करते हैं। हमारे गुरूदेव का कहना है कि चार्तुमास में वन्दना नहीं करें। हम लोग चार्तुमास में वन्दना नहीं करते हैं।
वर्षायोग मुनि महाराज का होता है, आप गृहस्थों का नहीं। अगर गृहस्थ और जगह आने-जाने का त्याग कर दें, तो वन्दना करने की जरूरत नहीं है लेकिन दुनिया में घूमो और शिखर जी की वन्दना में हिंसा कहो, ये गणित हमको समझ में नहीं आता।
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