क्या करें कि मंदिरजी में चढ़ें चावल पैरों में न आए?

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शंका

सभी लोग मन्दिरों में चावल चढ़ाते हैं और वो सारे पैरों में गिरे मिलते हैं, अविनय भी होता है, तो क्या करना चाहिए?

समाधान

चावल क्यों चढ़ाते हैं? पहले ये समझो। ये एक मात्र ऐसा धान्य है जिसकी पुनरुत्पत्ति नहीं होती; उसमें अंकुरोत्पत्ति नहीं होती। इसके अतिरिक्त जितने भी धान्य हैं उसमें अंकुरण होता है; चावल में अंकुरण नहीं होता है। इसलिए हम भगवान के चरणों में वो द्रव्य चढ़ाते हैं तो फिर से उगे नहीं, क्योंकि भगवान जन्म-जरा-मृत्यु से अतीत हैं और हम भी उसे ही चाहते हैं इसलिए हम भगवान के चरणों में चावल चढ़ाते हैं। 

अब चढ़े हुए चावल पर पाँव पड़ना, ये आप के विवेक के ऊपर निर्भर करता है कि आप इतने विवेक से चढ़ाएँ कि गिरे नहीं। हम इतना कहेंगे कि जिस पर पाँव पड़ जाये उसको मत चढ़ाओ; और चढ़ाने वाले पर पाँव न पड़े उसका ख्याल रखो।

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