शंका
जैन धर्म में अहिंसा धर्म को सर्वोपरि माना गया है। मोटे तौर पर हम जीव दया को अहिंसा कहते हैं, लेकिन राग-द्वेष करना भी तो हिंसा के अन्तर्गत ही आता है, तो सच्चे अर्थों में अहिंसा का स्वरूप क्या है?
समाधान
बाहर से जीवों पर दया करना अहिंसा का बाहरी रूप है, ये पर की दया है; और अपने आपको राग-द्वेष से मुक्त करना स्व की दया है, जो अहिंसा का भीतरी असली रूप है। हमारी कोशिश दोनों तरफ होनी चाहिए। बाहर हम करुणा का पालन करें और भीतर अपनी आत्मा को जागृत रखें, जिससे राग-द्वेष से बचा जा सके।
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