जैन धर्म का अभ्यास अभी-अभी शुरू किया है। जिस तरह से पढ़ते हैं थोड़ा-थोड़ा जानते हैं तो समझ में आता है कि सब क्षण-भंगुर है, तो फिर जीने का मकसद क्या है?
क्षण-भंगुर है, ऐसा जानने का ये मतलब नहीं है कि आप जीवन के प्रति हताश हो जाएँ। अपितु, क्षण भंगुर है ऐसा जानने का मतलब ये है कि आप अपने जीवन के प्रति जागरूक हो जाएँ। कभी-कभी ऐसा होता है कि हमारे पास काम बहुत होता है और समय कम होता है। उस समय हम क्या करते हैं? Priority (अग्रक्रम) रखते हैं। हम ये देखते हैं कि सबसे पहले हमें कम समय में अधिक से अधिक काम को निपटाना है; और इसमें भी top priority पर किस को निपटाना है। तो जीवन की क्षण भंगुरता का बोध कराने का मतलब ये है, कि तुम्हारे पास बहुत थोड़ा समय है, जीवन में फालतू की बातों में लगने की जगह अपने काम की बातों में लग जाओ ताकि थोड़े समय में अपना काम पूरा करके अपने जीवन को सफल बना सको। अपने पास कम समय बचा है, उस समय में अधिक से अधिक काम कर लो क्या पता कि कब हमारे जीवन में क्या हो जाए। इस बात को हमेशा याद रखना चाहिए।
उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो,
न जाने जिंदगी की किस गली में शाम हो जाए।
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